देवास। जिले में कोरोना महामारी को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है और अब हालात काफी तेजी से सुधर रहे हैं, लोग भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन कर रहे है, दूसरी तरफ कोरोना कफ्यू में रिटेल व्यापार पूरी तरह से बंद है, रविवार को हुई जिला क्राइसिस कमिटी की बैठक के बाद आये प्रशासन द्वारा अनलॉक के आदेश में सिर्फ अति आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने की अनुमति प्रदान की गयी है। जिसके बाद अन्य व्यापारी जैसे कपडा , इलेक्ट्रॉनिक , बर्तन , सराफा आदि दुकानों के व्यापारियों को निराशा हाथ लगी है उन्हें उम्मीद थी की अब उनकी दुकाने खुलेंगी परंतु ऐसा ना हो सका। क्राइसिस कमिटी के फैसले पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने भी सवाल खड़े किये है। ऐसे में इन व्यापारियों के सामने कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, दुकान व गोडाउन का किराया, लोन की किश्तों, सीसी लिमिट का ब्याज आदि अन्य कई समस्या आ रही है, अब जब ऐसे में व्यापार खुलेंगे तो भी मांग और भुगतान में काफी अनिश्चितता भरा बाजार रहेगा।
• दर्जनों कारोबारियों को था आज से छूट का इंतजार
हलवाई, रेडीमेड रेडडी, इलेक्ट्रॉनिक आदि ऐसे सैकड़ों ट्रेड से जुड़े लोग बंदी से माल खराब और एक्सपायरी होने से भुखमरी के कगार पर खड़े है। दो दिन दूर नहीं अगर इन्हें किराने व दूध जैसे न सही पर थोड़े-थोड़े समय के लिए ही छूट के दायरे में नहीं लाया यो व्यापारी का बड़ा बड़ा खुदकुशी जैसे कृत्य करने को मजबूर हो जाएगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था भी फेल हो जाएगी और अपराध रोक पाना चुनौती हो जाएगी लॉक डाउन में थोड़ी राहत से ऐसे व्यापारियों को चिह्नित कर सर्वप्रथम शामिल किया जाना चाहिए था। कोरोना की वजह से कारोबार तो पूरी तरह से ठप हो चुका है, इसमें किसी को दोष नहीं है, क्योंकि बीमारी है। इससे बचाव भी बेहद जरूरी था, लेकिन अब प्रशासन ने कुछ व्यापारियों को दुकानें खोलने की दी है। अब जिला ग्रीन जोन की तरफ बढ़ रहा है। इसको देखते हुए सभी दुकानों को भी खुलवाया जाए ताकि अन्य लोग भी अपना व्यापार दोबारा शुरू कर सके व्यापारी को अपने यहां पर काम करने वाले श्रमिकों को भी धनराशि देनी है। इस काल में तो घरों से ही रुपये देने होंगे। अगर जल्द ही दुकानें खुल जाती है, तो व्यापारी प्रशासन का सहयोग ही करेंगे।
• छोटे कारोबारियों की हालत बहुत खराब
इन हालातों में जब कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है, ऐसे में व्यापार खास कर रिटेल व्यापार करने वाले लोगों के हालात जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं है पिछले साल 2020 में भी लाकडाउन खुलने के बाद भी व्यापार को सामान्य स्थिति में आने में 3 महीने का समय लगा था, पर उस समय सरकार ने व्यापारिक गतिविधियों के साथ लोगों को उनकी बैंक की किश्ती, सीसी लिमिट के व्याज में काफी राहत प्रदान की थी, लेकिन इस बार व्यवसायिक गतिविधियों को चालू रखने की कोशिश में छोटे रिटेल कारोबारियों की हालत बहुत खराब हो गई है।
• नियमित खर्ची से त्रस्त व्यापारी
पिछले लगभग 2 महीनों से लोगों की दुकानें बंद पड़ी हैं और पर उनके नियमित खर्चे लगातार जारी है, उन खचों में तो कोई कटौती है और न कोई राहत, ऊपर से बैंक की किश्तो मकान और गाड़ी की किरते लोगों के लिये मुसीबत बन गई है, घर के खर्च बों की फीस और बढ़ी हुई महंगाई इन सब ने लोगों की बचत खत्म कर दी है, ऐसे में अब व्यापारी बाजार से या मित्रों व सहयोगियों से पैसा उधार ले कर बैंकों की किश्ते भर रहा है, बाजार से दिए हुए माल का पैसा मिल नहीं रहा है, क्योंकि दुकानें बंद होने से माल बिका ही नहीं तो उसका पैसा नहीं आया, दूसरी तरफ माल देने वाली कम्पनियों की अपनी समस्याएं हैं, वे पैसे के लिये रिटेल व्यापारियों पर दबाव बना रही है, दुकान या गोडाउन मालिक को अपना किराया चाहिये, कर्मचारियों को वेतन चाहिये, ऐसे में रिटेल व्यवसायी पूरी तरह से टूट चुका है।
• कपड़ा व अन्य कारोबारियों की टूटी कमर
कोरोना के चलते अन्य कारोबार के साथ कपडे का धंधा भी मंदा हो गया है। आम दिनों में महीने में जिले में रेडीमेड कपड़े व इलेक्ट्रॉनिक , बर्तन व अन्य व्यवसाय का कारोबार कई करोड़ का होता था। पिछले साल हुए कोरोना संकट के बाद मार्च महिने से कारोबारियों चलात ठीक होने की उम्मीद बन रही थी। उन्होंने इंदौर , उज्जैन , रतलाम , सूरत अहमदाबाद आदि अन्य शहरों से माल मंगा लिया था। उनका कहना है कि लाखों का माल गोदाम में पड़ा हुआ है। इस बीच शादी के सीजन में अच्छी बिक्री की उम्मीद थी, लेकिन सब में पानी फिर गया है। कारोबारियो के सामने उनके दुकान किराये के साथ ही बैंक किश्त देने की दिकत आर रही है। ऐसे व्यापारी सरकार से राहत की अपेक्षा कर रहे हैं। इधर कपड़ा व्यापारी महावीर जैन का कहना है कि सभी कारोबारियों को कोविड के नियमों के अनुसार दुकान खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि बैंक, ऑफिस व यातायात सयकुछ पहले से खुला है। आज से कई और दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी गई है। सरकार ने व्यापारियों को कोई आर्थिक मदद नहीं की है। आखिर कारोबारी को भी अपना परिवार का भरण पोषण करना है। कोरोना की पहली और अब दुसरी लहरों का असर रेडीमेड कपड़ों के कारोबार पर भी पड़ गया है। सीजन शुरू होते ही दुकानें बंद हो गई। बिक्री बंद होने से दुकानदारों को दोहरी मार पड़ रही है। गर्मियों के लिए गंगाए कपड़े याद नहीं बिके तो उनका माल दुकान में ही डंप हो जाएगा। इसके अलावा जाड़ों के लिए कपड़े खरीदने की चुनाती रहेगी। अगर कमाई किए घर के अन्य खर्च चलाना भी भारी पड़ेगा। इस तरह की समस्या से अधिकतर दुकानदार जूझ रहे है। फारोबार से जुड़े लोगों ने अपनी पीड़ा यथा की।