बिजवाड विजेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रही राम कथा
सुंदेल/बिजवाड़(दीपक शर्मा): जो प्राप्त हैं वही पर्याप्त हैं औऱ जो अप्राप्त हैं उसका चिंतन न करना रघुकुल शिरोमणि राजा दशरथ इस बात के परिचायक हैं जो उनके पास था वह उसी परमात्म में संतुष्ट थे और जो पुत्ररत्न की कमी थी उनके जीवन में उसके बारे में वह कभी चिंतन नहीं करते थे और एक समय ऐसा आया कि गुरु वशिष्ठ के अनुसार यज्ञ के माध्यम से उनके कुल में कुलभूषण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अवतरण हुआ उक्त वचन महिला मंडल बिजवाड़ द्वारा आयोजित श्री राम कथा के तृतीय दिवस में प.कमलेश जी शास्त्री ने विजेश्वर धाम बिजवाड़ में कही आपने कहा कि हमें जो कुछ भी उस प्रभु ने दिया हैं पहले उसका तो विधि विधान से सदुपयोग करें और उसके लिए तो उस परमात्मा का धन्यवाद दे जो कुछ नहीं हैं हमारे पास उसके बारे में क्यों व्यर्थ की चिंता करें। यही प्राप्त और अप्राप्त की महिमा हैं आपके द्वारा बताया गया कि यदि हम सांसारिक जीवन के भोग भोगते हुए गए तो एक – दो पीढ़ी ही हमें याद रखेगी, लेकिन जो राष्ट्र-धर्म व प्रभु श्रीराम जी के दैवीय कार्यों में आंनदित रहते हैं व निस्वार्थ सेवा भाव रखते हैं उनके यश वैभव व कीर्ति की गाथाएं सात-सात पीढ़ियां गाती हैं मानव जीवन मिला हैं इसकी समय रहते एक पहचान बना लेना प्रभु स्मरण हो,धर्म का अनुसरण हो, निःसहाय की पीड़ाओं के प्रति सहानुभूति हो यही कर्म नर को नारायण बनाते हैं प्रमोदजी व्यास व रमेश जी जायसवाल द्वारा सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद लिया गया इस दौरान दिनेश जी राजपूत लोकेंद्र दरबार शेखर तिवारी जीवन परिहार रामभरोस जयसवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित थे