शिवराज सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में खेती की जमीन का बंटवारा आसान कर दिया है। इसके लिये राजस्व विभाग के अंतर्गत मत भू-राजस्व संहिता कृषि खाते का विभाजन नियम 2000 बनाये गये हैं। आगामी दिनों में यह प्रावधान प्रभावशील हो जायेगा।
ग्रामीण क्षेत्र में परिवार के मुखिया द्वारा अपने परिजनों को खेती की भूमि का बंटवारा करने के लिये तहसीलदार के समक्ष आवेदन करना होगा। इसके लिये एक नया प्रारुप बनाया गया है जिसे भरकर देना होगा। तहसीलदार इस आवेदन पर भूमि के वारिसदारों को सूचना जारी करेगा। इस सूचना पर न्यूनतम 15 दिन एवं अधिकतम 45 दिन के अंदर वारिसदारों को तहसीलदारों के समक्ष उपस्थित होना होगा। सुनवाई के बाद तहसीलदार कृषि खाते के विभाजन का आदेश जारी करेगा। इसके बाद प्रत्येक वारिसदार को आदेश की प्रति, अद्यतन खसर, नक्शा तथा नई भू-अधिकार पुस्तिका निशुल्क दी जायेगी। राज्य सरकार साठ साल पहले 6 जनवरी 1960 को बनाये नियमों के तहत कृषि खातों का विभाजन करती थी जिन्हें अब निरस्त किया गया है।
खेती की जमीन के असली वारिसदारों का पता चल सकेगा। यदि विभाजन वाली खेती की भूमि पांच एकड़ से कम है तो सभी वारिसदारों को पीएम किसान निधि जो सालाना छह हजार रुपये होती है, का लाभ मिलेगा। बंटवारा के बाद मिलने वाले प्रमाण-पत्र निशुल्क होंगे। इन पर बैंकों से ऋण भी लिया जा सकेगा। विभागीय अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने नये प्रावधान के तहत खेती की भूमि के बंटवारे को आसान किया है। इससे वारिसदारों को अनेक लाभ मिल सकेंगे। परिवार का मुखिया भी बंटवारे में कुछ भूमि अपने पास रख सकेगा।