प्रदेश सरकार जनप्रतिनधियों को खुश करने के लिए सहकारी बैंकों में जल्द ही सांसद और विधायकों को बतौर प्रशासक बनाने की तैयारी के साथ ही उनकी मदद के लिए सलाहकार भी रखे जाएंगे। इन सलाहकारों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि पांच-पांच होगी। यह पहला मौका होगा जब सहकारी बैंको में सलाहकार नियुक्त किए जाएंगे इन सलाहाकारों में तीन गैर शासकीय सलाहकार होंगे, जिनका सहकारी संस्थाओं का सदस्य होना आवश्यक होगा।इसके अलावा शेष दो सदस्यों में शासन और संबंधित संस्था का भी एक-एक सदस्य शामिल रहेगा इसे भी अपने नेताओं को उपकृत करने वाला कदम माना जा रहा है सरकार के इस कदम को माना जा रहा है कि सलाहकार समिति में उन नेताओं को समायोजित करने की भी तैयारी है कि जो प्रशासक बनने से रह जाएंगे। बताया जा रहा है किइसके लिए विधानसभा के मानसून सत्र में सहकारी अधिनियम में संशोधन बिल लाया जा रहा है, इसे वरिष्ठ सचिव समिति से हरी झंडी दी जा चुकी है। अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगना है। फिलहाल मौजूदा सहकारी अधिनियम के तहत सांसद और विधायक, सहकारी बैंक या अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष व प्रशासक नहीं बतनाया जा सकता है।पूर्व की शिवराज सरकार में राज्य सरकारी विपण संघ के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव (विदिशा संसदीय क्षेत्र से मौजूदा सांसद) को प्रशासक बनाया गया था, लेकिन विस चुनाव के समय शिकायतों के चलते उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा था। इसके बाद कांग्रेस की सरकार में ग्वालियर के कांग्रेस नेता अशोक सिंह अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया था। इसके अलावा नाथ सरकार में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में भी कांग्रेस नेताओं को बतौर प्रशासक नियुक्त किया गया था। इसके बाद फिर सत्ता बदली तो शिव सरकार ने सहकारी संस्थाओं में नियुक्त प्रशासकों को हटा दिया गया। इसके बाद से ही सरकारी अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। बिीते दिनों मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता वाली वरिष्ठ सचिव समिति ने इसे मानसून सत्र में प्रस्तुत करने की मंजूरी दे दी है।
विधानमंडल सदस्यता निरर्हता अधिनियम भी बदला जाएगा
सूत्रों की माने तो जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के अध्यक्ष सांसद या विधायक तब ही बन पाएंगे, जब सरकार द्वारा इन पदों को लाभ के पद से अलग कर दिया जाएगा फिलहाल पांच पदों को इससे बाहर रखा गया है। इसमें अपेक्स बैंक, राज्य सहकारी विपणन संघ, राज्य लघु वनोपज संघ, राज्य सहकारी बीज संघ और मत्स्य महासंघ शामिल है। तीन अन्य राज्य स्तरीय सरकारी संस्थाएं लेकिन यह तीनों ही परिसमापन में हैं।