• देवास में आजादी पूर्व रियासत कालीन समय से शमशान की भूमि जवेरी श्रीराम मंदिर की है, रिकॉर्ड में श्मशान दर्ज है?
• साजिश के तहत भूमाफियों द्वारा राजनीतिक व प्रशासनिक सांठगांठ से किया अवैधानिक कबजा व व्यवसायिक निर्माण?
देवास (✍️पंडित अजय शर्मा ,94250 51690)। प्रशासनिक जानकारों से प्राप्त जानकारी अनुसार देखा जाए तो जवेरी सेठ परिवार द्वारा आजादी पूर्व उक्त संपूर्ण भूमि जवेरी श्री राम मंदिर के नाम पर दर्ज थी आजादी पश्चात जमीनों के भाव में धीरे धीरे उठाव आने लगा उसी उठाव को ध्यान में रखते हुए कुछ तथाकथित भ्रष्ट नियत वाले भू माफियाओं ने तत्कालीन राजनीतिक व प्रशासनिक जिम्मेदारों से सांठगांठ कर जवेरी श्री राम मंदिर की उक्त भूमि को अपने अपने हैसियत अनुसार कब्जा कर व्यवसायिक प्रतिष्ठान तैयार करने में लग गए तभी धर्म आस्था को सर्वोपरि मानने वाले एक निष्ठावान जागरूक प्रतिष्ठित नागरिक द्वारा जवेरी श्री राम मंदिर की संपूर्ण भूमि पर अवैधानिक तरीके से किए गए कब्जा धारी भू-माफियाओं के विरुद्ध आवेदन निवेदन शिकायतों से लेकर माननीय न्यायालय की शरण में गए और वर्षों तक न्यायालयीन प्रक्रिया से रूबरू होकर जवेरी श्री राम मंदिर की उक्त भूमि को लगभग भू माफियाओं कब्जा धारियों से मुक्त कराने में कामयाब हुए! किंतु कुछ तथाकथित भू माफिया कब्जा धारी राजनीतिक व प्रशासनिक सांठगांठ में आर्थिक भ्रष्टाचार में संलिप्त हुए,और उक्त संपूर्ण भूमि में से कुछ हिस्सा भूमाफियाओं द्वारा साजिश के तहत अवैधानिक, नियम विरुद्ध तरीके से अपने अपने नाम पर करवाने में कामयाब हुए जो आज भी अवैधानिक ही है! इतना ही नहीं इसी आस्था से प्रभावित निष्ठावान प्रतिष्ठित जागरूक नागरिक द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर, नाग मंदिर ,खेड़ापति मंदिर ,शंकर भोले नाथ मंदिर सहित शहर के कई मंदिरों की भूमि जो रियासत कालीन से ही मंदिरों के नाम पर दर्ज है, की भी विधिवत तरीके से आवेदन निवेदन शिकायतों सहित माननीय न्यायालय की संज्ञान में भी प्रकरण विचाराधीन है प्रशासन से प्राप्त जानकारी अनुसार लक्ष्मी नारायण मंदिर की भूमि पर भी किए गए कब्जे धारियों से कब्जा हटाने के आदेश भी माननीय न्यायालय द्वारा कलेक्टर को दिया जा चुका है! बावजूद इसके भी इन तथाकथित भू माफियाओं बिल्डरों व अवैध कब्जा धारियों द्वारा अपनी मजबूत राजनीतिक व प्रशासनिक पकड़ के कारण आम जनता की भावनाओं आस्था से जुड़े केंद्रों की भूमि पर भी अपना कब्जा व निर्माण नहीं हटाने दिया ! जो तत्कालीन से लेकर वर्तमान जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक जिम्मेदार अधिकारियों पर कई गंभीर वह संदेहास्पद सवाल खड़े करती है ? जबकि वर्तमान में तो शहर जिले से लेकर प्रदेश तक और प्रदेश से लेकर केंद्र तक देश में संघ व भाजपा की सरकार है, जनता की भावनाओं आस्था को विश्वास की कसौटी पर खरा उतारने के लिए मठ मंदिरों की भूमि को तथाकथित भू माफियाओं बिल्डरों कॉलोनाइजरों एवं अवैध कब्जा धारियों से मुक्त कराने की दरकार है?
जवेरी श्रीराम मंदिर की भूमि का प्रकरण कई वर्षों तक न्यायालय में विचाराधीन रहा है, जो सर्वविदित है ! क्योंकि मंदिर की भूमि पर तथाकथित भू माफियाओं बिल्डरों और कॉलोनाइजरों ने अवैध तरीके से कब्जा कर किसी ने पेट्रोल पंप ,तो किसी ने गार्डन , तो किसी ने होटल व गार्डन,तो किसी ने मकान तो किसी ने बाकी बची भूमि पर अपने नाम पर प्लाट ही काट रखे हैं!।

हालांकि सर्वे क्रमांक 62 जिस पर शमशान निर्मित था वह भूमि शारदा रियल स्टेट जिसमें वैधानिक रूप से शासकीय रिकॉर्ड में शमशान दर्ज है, और साथ ही लगी भूमि सर्वे नंबर 60 है,जो कांग्रेश के किसी मैनेजर के द्वारा कब्जा कर रखी है ,हालांकि न्यायालय के आदेश पर उक्त संपूर्ण भूमि जवेरी श्री राम मंदिर के नाम से रेटकार्ड पर दर्ज है।
देवास के जागरूक आम जनता के मन में यह विचारणीय विषय तो गंभीर है ही ,साथ ही अनेक गंभीर सवाल भी जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं, की 100 वर्ष से भी अधिक पुराना यह शमशान है,! यानी रियासत कालीन शासनकाल में ही शमशान का निर्माण हो चुका था ! और आजादी पूर्व रियासत कालीन शासनकाल में ही जवेरी श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज है !,यानी जवेरी सेठ की भूमि है? इसके पीछे देवास विकास प्राधिकरण द्वारा विकासनगर की स्थापना लगभग 25 से 30 वर्ष पूर्व कॉलोनी काटी गई! तत्पश्चात वर्तमान रहवासियों का रहवास उस कॉलोनी में हुआ ? तो तथाकथित कुछ रहवासियों को आपत्ती शमशान टूटने के बाद दोबारा पुनःनिर्माण के वक्त ही क्यों हुई? इन तथाकथित कुछ रहवासियों को रहवास लेते समय खरीदते समय शमशान क्यों नहीं दिखाई दिया? क्या इन तथाकथित रहवासियों को भ्रमित कर आपत्ती दर्ज कराने के लिए जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों ,अवैध तरीके से कब्जा कर बैठे भू माफियाओं द्वारा गुमराह कर, भड़का कर, उकसाकर, डरा धमका कर ,या प्रलोभन देकर, सोची समझी साजिश के तहत आपत्ती के लिए खड़ा किया गया था? जबकि वार्ड पार्षद तोमर द्वारा भी प्रदीप चौधरी के साथ शमशान को तोड़ने का विरोध और पुनः: निर्माण के सपोर्ट में पहले दिन ही खड़े हुए नजर आए थे?

अब जनता के मन में सवाल यह भी उठ रहे हैं, कि जब उक्त संपूर्ण भूमि जवेरी श्री राम मंदिर की है जो शासकीय रिकार्ड में दर्ज है बावजूद इसके भी अवैधानिक तरीके से सोची समझी साजिश के तहत भू माफियाओं बिल्डरों कॉलोनाईजरों एवं अवैध कब्जा धारियों को शासन प्रशासन मैं बैठे जिम्मेदार अधिकारी पदाधिकारियों ने न्यायालय के आदेश के बावजूद भी अवैध व अवैधानिक अतिक्रमण व कब्जा क्यों नहीं हटाया? क्यों नहीं इन माफियाओं से जवेरी श्री राम मंदिर की भूमि आज तक पूर्ण रूप से मुक्त करवाई गई? जब सर्वे नंबर 62 पर वर्षों से शमशान रिकॉर्ड में दर्ज है तो अचानक भीषण त्रासदी के संकटकाल में इसी श्मशान को क्यों तोड़ा गया ?
क्या शमशान की भूमि नगर निगम की निजी संपत्ति है! जिसे निगम अमले द्वारा अचानक तोड़ा गया ? क्या शमशान की भूमि निगम की निजी संपत्ति है! जिस पर निगम द्वारा ताबड़तोड़ तार फेंसिंग कर बाउंड्री का रूप दिया गया ? क्या शमशान की भूमि नगर निगम की निजी संपत्ति है ! जिसके लिए निगम आयुक्त के आदेश पर निगम के सौरभ त्रिपाठी द्वारा क्षेत्रवासियों के सहयोग से शमशान का पुन: निर्माण करवाने वाले प्रदीप चौधरी के विरुद्ध पुलिस में विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कराया गया ? प्रदीप चौधरी पर दर्ज प्रकरण में लगी धारा 3 /5 शासकीय संपत्ति हानि निवारण अधिनियम अनुसार जिला राजस्व विभाग के पटवारी ,आर आई ,तहसीलदार, एसडीएम ,एडीएम ,एवं जिला कलेक्टर को कार्रवाई करने व प्रकरण दर्ज कराने तथा करने का अधिकार है! तो फिर नगर निगम एवं नगर निगम के सहायक यंत्री सौरभ त्रिपाठी को कार्यवाही व प्रकरण दर्ज करने के लिए क्यों चुना गया ?
यदि शमशान की भूमि किसी भू माफिया या कॉलोनाइजर या किसी फर्म या ट्रस्ट या संस्था की व्यक्तिगत भूमि है !तो शिकायत व कार्यवाही एवं प्रकरण दर्ज करवाने का अधिकार भी उन्हीं का है! तो फिर नगर निगम व निगम के सौरभ त्रिपाठी को मोहरा क्यों बनाया गया ? क्या निगम आयुक्त विशाल सिंह चौहान को इस भूमि में कोई निजी फायदा नजर आ रहा है !जो अपने अधीनस्थ कार्यरत सौरभ त्रिपाठी को मोहरा बनाकर कार्रवाई के लिए आगे किया गया?
राजनीतिक जानकारों की मंडली में तो सवाल यह भी चर्चा में है, कि अचानक ऐसा क्या हुआ जो प्रदीप चौधरी को जनसेवा से उठ कर जनता के बीच जन हितेषी मुद्दों पर राजनीतिक तरीके से आखिर क्यों जनता की नब्ज पकड़नी पड़ रही है ?
ऐसे कई सवाल जागरूक आम जनता से लेकर राजनीतिक बुद्धिजीवियों और जागरुक पत्रकारों के बीच भी जोरों से है ! हालांकि चर्चा का विषय भी यही बना हुआ है !क्योंकि प्रकरण दर्ज होने के लगभग हफ्ते भर पहले प्रदीप चौधरी के द्वारा शमशान तोड़ने का विरोध करने के समय विकास नगर के भाजपा पार्षद तोमर भी तोड़ने के विरोध में और पुनः निर्माण के सपोर्ट में खड़े नजर आए थे!
हांलांकि कि 16 माह की अल्पायु कांग्रेस सरकार मैं उज्जैन रोड अभिनव टॉकीज के समीप स्थित मंदिर को तोड़ा गया जो हिंदू संगठनो द्वारा दोबारा मंदिर निर्माण के लिए धरना प्रदर्शन व नारेबाजी के पश्चात तातकालीन शासन प्रशासन से निर्माण अनुमति का आश्वासन दिया गया ! और बनाने की स्थिति में संघ व भाजपा के कुछ व्यवसाईक दलालों द्वारा प्रशासन से सांठगांठ कर मंदिर निर्माण को आज दिनांक तक मंदिर नहीं बनाने दिया गया! आज भी टूटे हुए मंदिर का ढांचा यथावत है!और वर्तमान में भाजपा शासन शहर से प्रदेश और देश तक होने के बावजूद भी वर्षों पुराना आस्था से जुड़ा केंद्र अंतिम संस्कार अंतिम सत्य के स्थल शमशान को तोड़ना और कांग्रेस महामंत्री द्वारा वापस पुनः निर्माण करने की पहल को रोकना, प्रकरण दर्ज करना ,गिरफ्तार करना, भी कई सवालों को जन्म देता है? क्या विकास नगर बावडिया स्थित तोड़े गए श्मशान को दोबारा बनाया जाएगा? या उज्जैन रोड स्थित मंदिर की तरह भाजपा संघ के व्यवसायिक दलाल ,भू माफियाओं और कॉलोनाइजरों द्वारा शमशान की भूमि कब्जा कर ली जावेगी ?या उज्जैन रोड स्थित मंदिर की तरह विवादित ढांचा बन कर ही धार्मिक आस्था की राजनीतिक पार्टी भाजपा व संघ को कोसती रहेगी? वर्तमान में यह शमशान उज्जैन रोड स्थित मंदिर की तरह भविष्य के गर्भ में है?