किसी भी राज्य सरकार की ओर से लागू ऐसे श्रम कानूनों को खत्म किया जाएगा, जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के खिलाफ होंगे। केंद्र सरकार ने श्रम मामलों की संसदीय समिति को यह भरोसा दिलाया है। समित के कुछ सदस्यों ने कई राज्यों में वर्किंग आवर्स को 8 से 12 घंटे किए जाने पर भी सवाल उठाया, जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि यह अवैध है और इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी गौरतलब है कि बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश समेत करीब दर्जन भर राज्यों ने श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं। इन पर सवाल भी उठे थे और तब केंद्रीय श्रम मंत्री ने इन्हें लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा था कि ऐसे किसी भी कानून को श्रम सुधार नहीं कहा जा सकता। दरअसल इन राज्यों ने कोरोना काल में चीन छोड़ने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के मकसद से ये फैसले लिए थे। सूत्रों के मुताबिक संसदीय समिति ने श्रम कानूनों में बदलाव करने.वाले 9 राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा कि ऐसे कई अन्य बदलावों को भी हटाया जाएगा, जो श्रमिकों के अधिकारों का हनन करते हों। केंद्र सरकार ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों को संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है और ऐसे किसी भी विवाद की स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों के बदलावों को खारिज किया जा सकता है।
मानसून सत्र में पास होगा बिल
2019 में सोशल सिक्योरिटी कोड बिल लोकसभा में पेश किया था। फिलहाल यह बिल स्टैंडिंग कमिटी के समक्ष है और इसे मॉनसून सेशन में पारित किया जा सकता है। श्रम मंत्रालय ने बताया है कि देश में करीब 15 राज्यों ने श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं। संसदीय समिति को भरोसा दिलाते हुए श्रम सचिव हीरालाल समारिया ने कहा कि किसी भी राज्य को सोशल सिक्योरिटी कोड बिल का उल्लंघन नहीं करने दिया जाएगा।