ओम्कारेश्वर से नर्मदा का जल ला कर कांवड़ यात्रियों द्वारा भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर शाही सवारी निकाली गई।
भौरासा (अभय नागर)। श्रावण महिने का वैसे तो हर दिन भोलेनाथ के भक्तों के लिए अहम होता है। लेकिन सोमवार को भगवान भोलेनाथ की भक्ति में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह दुगुना हो जाता है। आदि काल से ही श्रावन माह के सोमवार को भगवान शंकर पर जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक का प्रचलन चलता आ रहा है। सावन
के चोथे सोमवार के अवसर पर सुबह से ही शिवालयों में भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा भगवान के दर्शन के लिए बोल बम बोल बम के साथ। बम-बम भोले के जयकारों से शिवालय गूंजयमान रहे। बाबा भँवरनाथ के मंदिर में दूध,बेल-पत्र,धतूरा लिए दर्शन-पूजन के लिए सुबह से ही भक्तो के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका था। सावन माह में आराधना में लीन होकर भोलेनाथ को भक्त तरह-तरह से प्रसन्न करने मे लगे । अभिषेक करने वालों मे होड़ सी लगी हुई थी।
भगवान भौलेनाथ के मंदिर में पुजारी चंद्र शेखर शर्मा एवं नगर परशाई मनोज जोशी ने बताया कि सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर पहुंचने लगे थे। खासकर महिलाओ व युवतियों में भगवान शंकर के प्रति पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा आस्था दिखाई दी।
ऐसे में सुबह से चालू हुआ जल चढ़ाने का सिलसिला दोपहर के बाद शाम तक चलता रहा। कई भक्तों ने पूजा-अर्चना के साथ भगवान शिव को बीलपत्र,भांग, धतूरा, पुष्प,अक्षत चढ़ा कर स्मरण किया। संध्या काल के समय ओकारेश्वर से मां नर्मदा का जल लेकर के भौंरासा के कावड़ यात्री पहुंचे और बाबा का जलाभिषेक किया। भगवान महादेव का विशेष श्रंगार कर उन्हें पालकी मे सवार करवाकर नगर भ्रमण पर ले जाया गया। उनके दर्शन के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पढ़ा शाम भूतभावन भँवरनाथ महाराज की शाही सवारी ठाट बाट से पालकी से नगर वासियों को दर्शन देने निकले अपनी भूत मंडली के साथ ही अखाड़े, बैंड बाजे चल रहे थे। नगर वासियों ने भी भगवान भोलेनाथ का जगह – जगह आरती पूजन कर आशीर्वाद लिया और कामना की वे उन्हें हर संकट से हर दुख दर्द से भगवान नगर वासियों और भारतवासियों सहित विश्व का कल्याण करे। बाबा भंवनाथ की शाही सवारी का स्वागत बाबा भोलेनाथ को दुपट्टा उड़ा कर कावड़ियों का भी भगवा दुपट्टे से स्वागत किया गया अजब सिंह नागर काकड़दा के द्वारा।