उज्जैन : महिदपुर के शत्रुंजय आदिनाथ जैन मंदिर में 14 वर्षीय बेटी रिदम की विदाई का पल था। रिदम कोचर ने सांसारिक जीवन को अलविदा कहकर संयम पथ कदम बढ़ाया। रिदम अब साध्वी दीपदर्शनाश्रीजी बन गई है। भव्य समारोह में लोगों ने जय कारों के के बीच नई साध्वी के संयम पथ पर चलने की अनुमोदना की। रिदम की दीक्षा के इस पल के हजारों लोग साक्षी बने।
सर्वप्रथम गुरु देव आचार्य मुक्तिसागरजी ने मुमुक्षु रिदम की दीक्षा की सभी क्रियाएं अचल मुक्तिसागरजी, साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी, मुक्तिप्रियाजी सम्पन्न करवाई। दीक्षा समारोह में अतिथि पूर्व मंत्री व उज्जैन विधायक पारस जैन व विधायक बहादुर सिंह चौहान थे। गुरु देव ने दीक्षा कार्यक्रम के बाद रिदम का सांसारिक नाम बदल कर नया नाम दीपदर्शनाश्रीजी दिया। नाम के जयघोष के साथ ही दीक्षा मण्डप में उत्साह था ।
रिदम कोचर की दीक्षा के बाद अब वो पैदल विहार,गोचरी, केश लोच, संथारे पर सोना, सांसारिक सुख का त्याग कर कठिन तप से अपने जीवन को सयंम की राह पर ले जाएगी। इस दौरान उनका साथ अपने माता पिता और परिवार से छूट गया।
रिदम ने 14 वर्ष की उम्र में 8वीं कक्षा पास की है। अब कम उम्र में सयंम की राह पर चलने जा रही है। इसे लेकर पिता विशाल कोचर और माता सोनाली कोचर काफी खुश हैं। विशाल कोचर ने बताया कि इतनी छोटी उम्र में बच्ची की विदाई की है। दुःख तो है, लेकिन धर्म की राह पर नये जीवन की शुरुआत करेगी। बेटी का बचपन से ही धर्म के प्रति झुकाव रहा। जल्द ही, सयंम के पथ की ओर अग्रसर होगी।
14 फरवरी को महिदपुर के श्री शत्रुंजय तीर्थ धाम में श्री मुक्ति सागर सूरी जी ने दीक्षा दी । दीक्षा से पहले कई मांगलिक कार्यक्रम हुए । 9 फरवरी से ही कार्यक्रम शुरू हो चुके थे। सबसे पहले हल्दी 10 फरवरी को मेहंदी, पूजा, 12 फरवरी को मुक्तिसागर जी महाराज का नगर प्रवेश हुआ।