• कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए लिया संकल्प
देवास। 6 दिसंबर शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है इसी दिन अयोध्या में कार सेवकों ने बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर राम मंदिर की नींव रखी थी।
शनिवार को शहर में भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा कारसेवकों व कार्यकर्ताओं का मिलन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर की गई।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में बीटीएसएस के राष्ट्रीय मंत्री निर्माण सोलंकी, कारसेवक विष्णु वर्मा, बीटीएसएस प्रदेश संयोजक मनोज जोशी, बीटीएसएस जिलाध्यक्ष आनंद सिंह ठाकुर और तिब्बत के फुनछोग छेरिग जी शामिल हुए। अतिथियों का सम्मान संघ के विनोद जैन, भूपेंद्र ठाकुर, जयदेव वर्मा के साथ बीटीएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा भगवा दुप्पटा पहनाकर किया गया। कार्यक्रम में संघ में दो नियुक्तियों की घोषणा भी की गई जिसमें राष्ट्रीय कवि जगदीश सेन को प्रांत मंत्री एवं जयदेव जी वर्मा को जिला महामंत्री नियुक्त किया गया।
वक्ता के रूप में कारसेवक विष्णु जी वर्मा ने 1990 और 1992 की कारसेवा के बारे में बताया जिसमें 1990 की कारसेवा का संघर्ष का व्याख्यान किया और भारत तिब्बत समन्वय संघ की स्थापना क्यों, कैसे और किसके द्वारा की गई इसके बारे में जानकारी दी साथ ही संघ के क्या उद्देश्य है इसकी जानकारी भी उपस्थित सदस्यों एवं कारसेवकों को दी।
बीटीएसएस प्रदेश संयोजक मनोज जोशी द्वारा बताया गया कि अयोध्या हम आए है मंदिर यही बनाएंगे अब नारा लगता है अयोध्या हम आए है मंदिर यही बनाया है।
हम और हमारे अनेक साथियों ने बड़े संघर्षों और बलिदान के बाद राम जी को अयोध्या में मंदिर में पुनः स्थापित कराया। यह एक सपना था जो साकार हो गया है अब आज की आवश्यकता है कि हम तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर में स्थापित भोलेनाथ जी को भी स्वतंत्र कराए जिसपर चीन ने कब्जा कर रखा है। जोशी जी के कहा कि हम सभी को मिलकर जनांदोलन से जिस प्रकार राम मंदिर का सपना साकार किया है उसी प्रकार कैलाश मानसरोवर को मुक्ति दिलाने का प्रयास करना चाहिए।
तिब्बत के फुनछोग छेरिग ने बताया कि कब और कैसे चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया और जब चीन ने तिब्बत पर अपना रूप जमाया तब कैसे तिब्बती ने शरणार्थी के रूप में भारत में शरण ली और भारत के लोगों एवं सरकार द्वारा उन सभी का सहयोग किया, भारत हमारा गुरु है उसने गुरु बनकर हमें सब कुछ प्रदान किया है। हमारे ग्रंथ, हमारी संस्कृति, हमारी भाषा सभी अधिकांश रूप से भारत के ग्रंथ, संस्कृति और भाषा से मिलते है उन्होंने सभी तिब्बतियों की और से सभी भारतीयों को उनका साथ और सहयोग के लिए धन्यवाद प्रेषित कर कहा कि तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के अभियान में हम सभी तिब्बती कंधे से कंधा मिलाकर आप सभी के साथ है। उद्बोधन पश्चात सभी ने कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए संकल्प लिया।
अंत में आभार बीटीएसएस के
जिला महामंत्री जयदेव वर्मा ने माना। कार्यक्रम पश्चात स्नेहभोज भी हुआ।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नगर व आस पास के कारसेवक व बीटीएसएस के कार्यकर्ता शामिल हुए।
















