देवास। युवा किसान संगठन के नेतृत्व में रविवार को किसानों ने सोयाबीन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ₹5328/- प्रति क्विंटल पर सुनिश्चित किए जाने की माँग को लेकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। ग्राम राजोदा से देवास कलेक्टर कार्यालय तक निकली 300 से अधिक बाइकों की विशाल किसान रैली में सैकड़ों किसानों ने भाग लिया और अपने अधिकारों की आवाज़ बुलंद की। कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि किसानों को मंडियों में घोषित MSP का लाभ नहीं मिल रहा है और व्यापारियों की मनमानी के कारण किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं।
किसानों ने उठाए अहम सवाल-
जब सोयाबीन के भाव पिछले 10 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा सिर्फ़ दिखावा था? जब किसान घाटे में हैं, तो अडानी विमार और पतंजलि Foods जैसी कंपनियाँ अरबों का मुनाफा कैसे कमा रही हैं? देश में पर्याप्त उत्पादन के बावजूद भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल आयातक क्यों है? आखिर कब तक किसानों को ठगा जाएगा और देश विदेशी तेल पर निर्भर रहेगा?

किसानों की प्रमुख माँगें है कि सोयाबीन की खरीदी एमएसपी पर तत्काल प्रारंभ की जाए। एमएसपी पर खरीदी का कानून बनाया जाए। एमएसपी से कम दाम पर खरीदी करने वालों को कम से कम 5 साल की सज़ा दी जाए। भावांतर योजना जैसे छलावे बन्द किए जाएँ। किसानों को मेहनत का पूरा दाम दिलाने की ठोस व्यवस्था बने। भाव गिराने की साज़िश पर रोक लगाकर दोषियों पर कार्रवाई हो।
रैली में सोहन पटेल, प्रकाश पटेल, मुकेश पटेल (जनपद अध्यक्ष), रमेश (सरपंच), मुकेश पटेल, संजू पटेल, राहुल चौधरी, शुभम पटेल, श्याम, जीवन, धर्मेंद्र पाटीदार, निलेश पाटीदार, महेश (सरपंच), विक्रम (पार्षद), बाबूलाल जी सिरोलिया, राकेश (खिरनी), घनश्याम, राजेंद्र (बलौदा), बंटी केलोद, अफजल, ऐसान चाचा, अयूब पटेल, सौरभ पटेल, दिलवार पटेल सहित अनेक किसानों ने रैली में सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम के समापन पर गोरधन पाटीदार एवं देवेंद्र चौधरी ने सभी किसानों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। रैली का नेतृत्व रविन्द्र चौधरी, अध्यक्ष – युवा किसान संगठन एवं जिला पंचायत सदस्य, देवास द्वारा किया गया। उन्होंने कहा “यह केवल एक ज़िले का नहीं, बल्कि लाखों किसानों के जीवन और देश की खाद्य सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है। यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो किसान राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”