छोटी पाती में जैन साध्वी ने दिए भाव-प्रवाहित, ज्ञानवर्धक एवं आत्मसात करने योग्य प्रवचन
देवास। नगर में पंचशील नगर में श्री नव-पुण्य नव निर्मित गृह जिनालय चंपापुरी धाम में वासुपूज्यस्वामी भगवान की प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्त पधारे साध्वीजी भगवंतों परम पूज्य साध्वी शीलरेखाश्रीजी म सा, परम पूज्य साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी म सा,
परम पूज्य साध्वी सौम्यवदना श्रीजी म सा, परम पूज्य साध्वी शुचिप्रज्ञाश्रीजी म सा आदि विशाल साध्वी वृंद के द्वारा छोटी पाती में श्री चंद्रप्रभु स्वामी मणिभद्रवीर मंदिर सुतार बाखल
एवं श्री चंद्रप्रभु स्वामी मंदिर एम जी रोड श्रीसंघ के संयुक्त तत्त्वाधान में सरदार पटेल मार्ग स्थित मोड़ पंच धर्मशाला में चंद्रप्रभु स्वामी की चाकरी नित्य करिए विषय को लेकर भाव-प्रवाहित, ज्ञानवर्धक एवं आत्मसात करने योग्य प्रवचन दिए।
प्रवचन की शुरुआत महामंगलकारी नवकार मंत्र के साथ हुई जिसमें आगे प्रवचन श्रृंखला शुरू की करते हुए कहा कि प्रभु से जुड़ने की तीन सिद्धांत होते है दर्शन, वंदन, पूजा प्रभु दर्शन से दरिद्रता का नाश होता है, वंदन से पुण्य बढ़ता है और पूजा से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। हमें दर्शन के लिए कही भी जाने की जरूरत नहीं होती है सबसे पहले सुबह उठते से हाथ में बसे चंद्र का दर्शन करना चाहिए जिससे हमारी आत्मा भी परमात्मा बन जाती है। लेकिन वंदन और पूजा के लिए हमे जहां भगवान विराजमान है वह तक जाना होगा। हमारी लक्ष्मी भी की तीन गति होती है दान, गति, नाश आप जिधर इसका उपयोग करेंगे उधर यह अपना प्रभाव डालती है। इसी प्रकार प्रवचन में आगे बताया कि व्यक्ति का ईश्वर के प्रति सबसे ज्यादा जुड़ाव तब होता है जब वह अपने जीवन के अंतिम समय ने ईश्वर के पास जाने वाला होता है। यह सत्य है इसके लिए उन्होंने इतिहास के प्रामाणिक कथाएं भी सुनाई। अगली कड़ी में अन्य साध्वी श्री जी ने कहा कि
चाकरी करना ही तो प्रभू की करो व्यक्ति की नहीं आज के समय सभी की चाकरी (नौकरी) वाले चाहिए धंधे वाले नहीं, लेकिन अगर आपको चाकरी वाला भी चाहिए तो आप ऐसे का साथ करो जो प्रभु की चाकरी में लगा हुआ हो क्योंकि प्रभु की सेवा से ही धन्य होंगे नहीं तो मिथ्यात्मक दुनिया में गोते लगाते रहेंगे।
आज के समय में कोई नहीं कहता प्रभु मेरा, लेकिन घर, बच्चे, तिजोरी और संपति का पूछेंगे तो जवाब हमेशा मेरा ही होगा। आह वह समय आ गया है जब अपने परिवार बच्चों के मनोरंजन के लिए 2 हजार का नोट भी छोटा, लेकिन मंदिर में 2 रुपए का नोट भी बड़ा लगता है आज के समय में सिर्फ दिखावा होता है। शादी की व्यवस्था भी जैन समाज में बताई गई है। पहले शादी उत्सव में भी पांच दिवसीय और आठ दिवसीय महोत्सव किया जाता था पर आज तो बिना मुहूर्त के शादी हो जाती है। जो कि तलाक तब की स्थिति निर्मित उत्पन्न कर देती है। इसी का साथ साध्वी जी ने प्रवचन में बताया कि हमेशा अपने घर में एक कमरा ऐसा बनाए जिसमें हम अपनी आत्मा का निरक्षण कर सकेंगे एवं हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ सके जिससे हमें कभी किसी की चाकरी करने की आवश्यकता नहीं होगी।
जैन समाज के 24 तीर्थंकरों में 8 वे तीर्थंकर श्री चंदा प्रभु स्वामी ऐसे भगवान है जो शीतलता प्रदान करते हैं जिनके दर्शन वंदन एवं पूजन से महा मंगलकारी प्रभाव देखने को मिलता है।
शहर में कायथा परिवार द्वारा पंचशील नगर में बनाए जा रहे गृह जिनालय चंपागिरी तीर्थ के बारे में बताया कि धन्य है ऐसा परिवार जो प्रभु को अपने घर ले जा रहा है। श्री चंपापुरी धाम में प्रतिष्ठा निमित्त पांच दिवसीय महोत्सव होने जा रहा है जिसमें आप सभी भी शामिल होकर प्रभुमय बनें। साध्वी जी ने बताया किमे चंपापूरी धाम में विराज होने जा रहे मूल नायक वासुपूज्य स्वामी जी ऐसे प्रभु है जिनके दर्शन मात्र से ही हर मंगलकारी कार्य पूर्ण होते है। अंत में राजेश जी जैन एवं नरेंद्र जी जैन ने साध्वी जी का बड़ी संख्या में पधारे श्रावक श्राविकाओं को भाव-प्रवाहित, ज्ञानवर्धक एवं आत्मसात करने योग्य प्रवचन देने के लिए धन्यवाद प्रेषित किया।