देवास। रेलवे स्टेशन के समीप स्थित कब्रिस्तान की जमीन को लेकर 19 फरवरी 2024 को दिए मप्र वक्फ बोर्ड भोपाल के आदेश को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने निरस्त कर दिया। आदेश में ट्रिब्यूनल ने देवास कलेक्टर से कहा था कि वे कब्रिस्तान पर लगायों ताला खोलें। कलेक्टर ने ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में सिविल रिविजन दायर की थी। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को इस मामले में शासन की ओर से प्रस्तुत आवेदन का निराकरण शीघ्रता से करने के लिए भी कहा है।
देवास रेलवे स्टेशन के समीप स्थित सर्वे नंबर 83, 84 और 85 की 17903 वर्गमीटर जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। शासन का कहना है कि सर्वे नंबर 83 पर ईसाई कब्रिस्तान है जबकि सर्वे नंबर 84 पर हिंदू श्मशान है, वहीं मुस्लिम कब्रिस्तान सिर्फ सर्वे नंबर 85 पर है। सर्वे नंबर 85 तक पहुंचने का रास्ता सर्वे नंबर 83 और 84 से ही गुजरता है। कुछ वर्ष पहले हुए विवाद के बाद जिला प्रशासन ने कब्रिस्तान के गेट पर ताला लगवा दिया था। इस बीच देवास वक्फ बोर्ड ने इस मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर दी।
इसमें कहा कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है। इसमें किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इस याचिका की सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने 19 फरवरी 2024 को प्रशासन को आदेश दे दिया कि कब्रिस्तान के गेट पर लगाए गए ताले को खोला जाए। देवास जिला प्रशासन ने ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में सिविल रिविजन दायर कर दी।
शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने कोर्ट को बताया कि ट्रिब्यूनल ने यह मानकर कि सर्वे नंबर 83, 84, 85 की पूरी जमीन वक्फ कब्रिस्तान का हिस्सा है, गलती की है। कब्रिस्तान के गेट पर लगे ताले खुले रहेंगे तो कानून – व्यवस्था बिगड़ सकती है। जब कोई शव मुख्य सड़क से दफनाने के लिए ने लाया जाता है तो उसे पहले सर्वे नंबर 83 से प्रवेश कराना होता है। यह ईसाई कब्रिस्तान है। इसके बाद सर्वे नंबर 84 आता है जो हिंदू समुदाय का श्मशान है। ऐसी स्थिति में अगर कब्रिस्तान पर लगे ताले खोलकर शव को दफनाने के लिए सर्वे नंबर 85 पर ले जाने की अनुमति दी जाती है तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। देवास में मुस्लिम समाज के पास पहले से छह कब्रिस्तान हैं। न्यायमूर्ति गजेंद्रसिंह ने तर्कों को सुनने के बाद 19 फरवरी 2024 का ट्रिब्यूनल का आदेश निरस्त कर दिया। कोर्ट ने ट्रिब्यूनल से कहा है कि वह इस मामले में शासन की और प्रस्तुत आवेदन का शीघ्रता से निराकरण करे।