शिकायत लिए जनसुनवाई में पहुंचे संस्था के पीड़ित सदस्य
देवास। नियमो को ताक में रखकर त्रिलोक नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था के पूर्व अध्यक्ष और संचालक मंडल ने अपनो को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से संस्था को दिवालिया कर दिया। उक्त कार्य में उपायुक्त सहकारिता विभाग के अधिकारियों, आडिटर, कर्मचारी विगत 30 वर्षो से काले कारनामे में शामिल है। त्रिलोक नगर में आडिटर कुरेशी और तत्कालीन देवास में पदस्थ तहसीलदार मांगीलाल बोरीवाल को आवासीय मकान दे दिया और संचालक मंडल का सदस्य बना दिया। वर्तमान में 18 आरोपियों में शामिल हैं। ये जांच का विषय है। इसी प्रकार दो भाइयों की पत्नी के नाम एक-एक मकान और भूखंड आवंटित करने के साथ भाई के साले को खेल मैदान 5 रू प्रति वर्गफीट जमीन बेचने साथ उसकी पत्नी को एक अन्य खेल मैदान पर स्कूल के जमीन दे दी। हुडक़ो के पास गिरवी रखी जमीन पर अवैध रूप से कॉम्प्लेक्स में दुकान बनाकर संचालक को 3 दुकान की रजिस्ट्री करने के साथ गरीबों की जमीन बेच दिया। इतना ही नहीं एक बाद एक घोटाला करने के बाद भी शातिर दिमाग ने पार्क और सेप्टीटेंक पर दो मकान बेचा गया। फिर भी कानून की गिरफ्त से बाहर आखिर क्यों? इस ठग ने उपायुक्त सहकारिता विभाग में कमाई का आधा हिस्सा रिश्वत देकर अपने आप को सुरक्षित कर रखा है। जभी तो 30 वर्षो से एक परिवार का राज बरकार है। बिना किसी मदद करे, बिना इतना अधिक घोटाला अकेला आदमी नही कर सकता है।
उक्त आरोप लगाते हुए मंगलवार को त्रिलोक नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था के पीडि़त सदस्य पहुंचे और 124 पीडि़तों की ओर से आवेदन सौंपा। जनसुनवाई में कलेक्टर ने डीआर को एक सप्ताह में 99 सदस्यो की जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया।सामाजिक कार्यकर्ता, संस्था नेशनल यूनिटी ग्रुप के संस्थापक अनिल सिंह ठाकुर ने उक्त आरोप लगाते हुए बताया कि पूर्व अध्यक्ष टीपी तिवारी और उसकी पुत्रवधू रूचिता तिवारी अंगद की तरह पैर पसारे संचालक मंडल के सदस्य भी बराबरी के भागीदार बनें रहे। सभी ने मिलकर त्रिलोक नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित को आर्थिक रूप से दिवालिया करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज भी 15 और 20 लाख रूपए गबन आरोपियों को उपायुक्त सहकारिता कार्यालय में अधिकारियो के साथ कुर्सी पर बैठाया जाता है और स्वागत सत्कार किया जाता है। अगर कोई सदस्य किसी मामले में शिकायत करता है तो सबसे पहले सूचना तिवारी के पास कैसे पहुंच जाती हैं? यह जाँच का विषया है। 30 वर्षो से अब तक जो भी अधिकारी रहे सभी ने बहती गंगा में डुबकी जरूर लगाई है। अपने पाप छुपाने के लिए सबसे पहले आडीटर को त्रिलोक नगर में एचआईजी मकान आवंटित किया। इसी प्रकार से तत्कालीन तेहसीदार मांगीलाल बोरीवाल को आवासीय मकान और संचालक मंडल में शामिल किया जो बराबर पाप के भागीदार में जरूर शामिल हैं। इसी प्रकार एक ओर संचालक विश्राम सिंह तोमर को 3 दुकाने हुडको के पास गिरवी जमीन पर बना कर रजिस्ट्री कर दी जो अवैध है। सगे दो भाई उमाशंकर, पत्नी मीना तिवारी को एक मकान एमआईजी 31 और 32 में भूखंड। इसी प्रकार छोटे भाई मनोज तिवारी की पत्नी प्रेमवती तिवारी त्रिलोक नगर सुपर एमआईजी आवास व 32 के पीछे भूखंड, भाई के साले आरपी मिश्रा को खेल मैदान पर केंब्रिज हायर सेकेण्डरी स्कूल मात्र 5 रू वर्ग फीट जमीन और उनकी पत्नी सावित्री देवी मिश्रा को खेल मैदान पर होली एंजेल स्कूल जमीन बेच दी गई। स्लम की जमीन को धीरे-धीरे पैसा लेकर बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं मार्गेज की जमीन पर कॉम्प्लेक्स दुकान निकालकर 3 दुकानें संचालक मंडल के सदस्य विश्राम सिंह तोमर ने नियम विरुद्ध बेचकर रजिस्ट्री कर दी गई। वहीं सेफ्टी टेंक पर अवैध मकान बनाकर बेच दिए गए। जनसुनवाई में आवेदन के दौरान त्रिलोक नगर रहवासी मुकेश रावत, पीयुष जोशी, नरेन्द्र दांगड़े, प्रफ्फुलता चित्रे, बद्रीलाल शर्मा सहित अन्य पीड़ित सदस्य उपस्थित थे।