- ग्रेसियस काॅलोनाईजर इंडिया लिमिटेड चिटफण्ड कंपनी के लोगों ने लालच देकर कराई थी एफडी परिपक्व होने पर नहीं लौटाए पैसे
देवास। शहर में एक चिटफंड कंपनी ने अपने यहां लोगों का पैसा डबल होने के नाम पर एफडी के रूप में जमा कराए और अवधि पूरे होने पर पैसे नहीं लौटाए जिसपर फरियादी की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर मामला न्यायालय में गया जहां न्यायालय ने चिटफंड कंपनी के 2 लोगों धोखाधड़ी के साथ अन्य प्रकरण के मामले में भारी अर्थदंड और जेल की सजा सुनाई है।
दरअसल राजेन्द्र सिंह भदौरिया प्रभारी उप संचालक/जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2020 को फरियादी विमल चैधरी ने उसके मित्र किषोर पटेल, राजेष पांचाल, कैलाष जायसवाल के साथ आरक्षी केन्द्र कोतवाली देवास पर उपस्थित होकर की मौखिक रिपोर्ट लिखाई की वर्ष 2014 में ग्रेसियस काॅलोनाईजर इंडिया लिमिटेड चिटफण्ड कंपनी देवास, आयकन मल्टी कलानी बाग देवास स्थित ऑफिस चिटफण्ड कंपनी ग्रेसियस कालोनाईजर इंडिया लिमिटेड देवास के डायरेक्टर लखन जायसवाल व धर्मेन्द्र ठाकुर देवास ने दिनांक 10 जनवरी 2014 को उनको कार्यालय में बुलाया और कहा कि यदि वे उनकी कंपनी में एक लाख रूपये जमा करेंगे तो 5 साल बाद उन्हें डबल पैसे मिलेंगे उन्होंने और भी फायदे बताये जिस पर फरियादी व उसके उक्त सभी मित्रों ने उक्त कंपनी में आर.डी व एफडी खाते खुलवाये। फरियादी ने एक लाख रूपये की एफ.डी. करवायी जिसमे उसको एफडी पूरी होने पर 2,00,000 रूपये की राशि मिलनी थी। फरियादी ने अपने परिवार के सदस्यों के भी खाते खुलवाए, जिसमें कुल 1,58,500 रूपये की राषि जमा की। उसके मित्र व अन्य लोगो ने एफडी व आरडी खाते खुलवाये किन्तु उनकी परिपक्वता होने पर भी दोनों अभियुक्तगण ने एफडी व आरडी का राषि भुगतान नही किया और उक्त राषि का गबन कर लिया।
उक्त संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई अन्य आवष्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियुक्तगण के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
माननीय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीष महोदय, जिला देवास (समक्षः-श्री राजेन्द्र कुमार पाटीदार साहब) द्वारा निर्णय पारित कर आरोपीगण लखन पिता नारायण जायसवाल उम्र 38 वर्ष, निवासी मिश्रीलाल नगर देवास एवं धर्मेन्द्र सिंह पिता जगन्नाथ ठाकुर उम्र 36 वर्ष निवासी ग्राम मोहम्मदपुर बनखेड़ा जिला सिहोर को दोषी पाते हुये भादंस की धारा 420 में 04-4 वर्ष का सश्रम कारावास व 50000-50000/- रूपये अर्थदण्ड, धारा 406 में 03-03 वर्ष का सश्रम कारावास व 50000- 50000/-रूपये अर्थदण्ड, धारा 120-बी में 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000- 50,000/-रूपये अर्थदण्ड एवं धारा 6(1) म.प्र.निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम में 04-4 वर्ष का सश्रम कारावास व 1,00,000-1,00,000/-रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।