• आतंकी हमलों से लेकर कोरोना तक कोई भी नही रोक सका ठाकुर का अमरनाथ यात्रा का सिलसिला
देवास। बाईक से व्यक्ति कुछ दूरी की यात्रा करने में भी एक बार सोचता अवश्य है। परंतु शहर के आनंद सिंह ठाकुर विगत चार वर्षो से वर्ष 2019 से बाइक से अमरनाथ की यात्रा कर रहे है। बाबा अमरनाथ जी बर्फानी के परमभक्त एक सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रवादी कार्यकर्ता के रूप में आपकी अमिट पहचान बनाने वाले शहर के आनंद सिंह ठाकुर के बाइक से सकुशल अमरनाथ यात्रा (लगभग 4250 किलोमीटर) पूरी कर लौटने पर मां शिव शक्ति सेवा मंडल के सदस्यों एवं उनके ईष्टमित्रो ने उन्हें साफा पहनाकर, अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया।

1996 से निरंतर कर रहे अमरनाथ यात्रा : शहर के ठाकुर वर्ष 1996 से निरंतर अमरनाथ यात्रा कर रहे है। बीच में कुछ वर्ष ऐसे भी आए जिनमे यात्रा की परिस्थिति अच्छी नही थी परंतु ठाकुर के दृढ़ संकल्प के सामने वह कुछ भी नही थी कठिन से कठिन परिस्थितियों, प्राकृतिक एवं मानवीय आपदा काल भी आपकी अमरनाथ धाम की अनवरत पवित्र यात्रा को रोक नहीं पाया। अमरनाथ यात्रा को कई बार आतंकियों ने निशाना बनाया एक बार तो जब आतंकी हमला हुआ था उस समय ठाकुर उनके अन्य साथी वही मौजूद थे। आतंकियों एवं सेना में मुठभेड़ चली गोलीबारी भी हुई जिसके बाद सेना ने आतंकियों को मार गिराया था जिसके बाद शुरू हुई यात्रा में ठाकुर ने उनके साथियों के साथ बाबा अमरनाथ के दर्शन किए। अमरनाथ पर आतंकी हमले हुए लेकिन ठाकुर के अमरनाथ यात्रा पर जाने का सिलसिला नहीं रुका। वही वर्ष 2020 व 2021 जब वैश्विक संकट कोरोना काल था तब भी वह नही रुके और अमरनाथ यात्रा पर जाने का फैसला किया। वर्ष 2020 में वह पठानकोट तो वर्ष 2021 में वह यात्रा के दौरान बालटाल तक ही जा सके थे। वर्तमान वर्ष 2022 में फिर वह यात्रा पर निकले और यात्रा पूरी की। श्री ठाकुर बताते है जब तक उनकी सांसे चलती रहेगी और शरीर साथ देगा तब तक वह बाबा अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा करते रहेंगे।

पूरी यात्रा करते है पैदल : कठिन यात्राओं में से एक यात्रा में अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो मार्ग निर्धारित है एक पहलगाम से दुसरा बालटाल से पहलगाम से पवित्र अमरनाथ गुफा की दूरी 48 किलोमीटर वही बालटाल वाले मार्ग से पवित्र अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किलोमीटर यात्रा के दौरान अनेक साधन एवं संसाधन वहा उपलब्ध रहते है परंतु परिस्थिति कैसी भी हो वह उनका उपयोग न करते हुए की पूरी यात्रा पैदल ही करते है।