देवास। शहर की जनता जिन्हे विकास पुरुष, नर्मदा नायक कहते है वो नाम है श्रीमंत तुकोजीराव राव पवार…
श्रीमंत पवार राजनिती में एक तरफा राज करने वाले और उनके दुनिया को अलविदा कहने के वर्षो बाद भी वर्तमान में आज भी हर जुबा पर चाहने वाले के अलावा जन जन के चेहते देवास रियासत के महाराज दिवंगत तुकोजीराव पवार की आज पूण्यतिथि है।
राजघराने में जन्म लेने के बावजूद तुकोजीराव जीवनभर राजसी ठाठ से दूर रहे। तीन दशक तक उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता से सीधा संवाद रखा और क्षेत्रीय विकास के लिए संघर्षरत रहे। दिवंगत पवार राष्ट्रवादी मूल्यों से संस्कारित थे। संगठन क्षमता में निपुण और वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण वे जनमानस में लोकप्रिय थे।
श्री मंत तुकोजी राव पवार (चतुर्थ) का जन्म 17 नवंबर 1963 को हुआ था। श्री मंत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। श्री पवार देवास सीनियर के महाराज थे। अंग्रेजों के शासन में इस परिवार को 15 तोपों की सलामी दी जाती थी।
श्री मंत ने 1986 से राजनीति में प्रवेश किया। वे भारतीय युवा जनता मोर्चा के जिलाध्यक्ष और बाद में प्रदेश अध्यक्ष रहे। पवार 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008, 2013 में देवास विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक निर्वाचित हुए।
तुकोजीराव पवार प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी में भी कई प्रमुख पदों पर रहे। वर्ष 1992 में उन्हें मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया। यहीं नहीं इसी वर्ष भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी जगह बनाई।
वर्ष 2002 में उन्हें युवा मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया।दिसंबर 2005 में उन्हें मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था। इसके बाद उन्हें अगस्त 2007 में पर्यटन, खेल एवं युवा कल्याण विभाग का दायित्व सौपा गया।
उन्हें दिसंबर 2008 में शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल किया गया। पवार को राष्ट्रीय गौरव अवार्ड और अन्य राष्ट्रीय अवार्डों से भी सम्मानित किया गया। वे इंदौर के डेली कॉलेज गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष भी रहे है।
तुकोजीराव पवार मध्यप्रदेश की राजनीति में अति सक्रिय थे वह छह बार विधायक (1990 से 2015) व 3 बार मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री की पद और रहे। तुकोजीराव पवार के 6 बार लगातार विधायक पर विजय प्राप्त करने पर देवास विधानसभा को भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा। वर्ष 2015 में श्री मंत के निधन के बाद देवास विधानसभा की खाली सीट पर उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री राजे पवार विधायक का चुनाव लड़ी व भारी मतों से विजय हासिल की।
तुकोजीराव पवार के पूर्वजो ने लगभग 250 वर्षो तक देवास पर शासन किया। जिनकी गिनती मध्य भारत के अमीर राजघरानों में होती थी। अंग्रेजों के शासन में इस परिवार को 15 तोपों की सलामी जी जाती थी। स्व.महाराज ने देवास की जनता की प्यास बुझाने के लिए बहुत संघर्ष किया । एक समय तो ऐसा भी आया जब रेल से पानी लाकर उन्होंने देवास की जनता को पानी की समस्या से निजात दिलवायी। जानकारी अनुसार वर्तमान में यह राजघराना 4 पैलेस व 3 किलो का मालिक है, 4 पैलेस में सागर महल, जामगोद हाउस, राघोगढ़ पैलेस तथा आंनद भवन पैलेस जहाँ उनको अपना आवास बना रखा है। 3 किलो में महाराष्ट्र में सुपागढ़ी, आलोट में आलोटगढ़ि व एक अन्य किले के मालिक है। साथ ही इसके अलावा इनके आधिपत्य में 453 हेक्टेयर का विशाल जंगल व लगभग 100 हेक्टेयर के कृषि भूमि भी है। आज भी इस राजघराने की संपत्ति का सही आकलन करना संभव नही है। वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी करते हुए तत्कालीन महाराजा तुकोजीराव पवार ने एफिडेविट में लिखा था की पवार वंश के पास सोना-चांदी व और अन्य कीमती घातुओं का इतना बड़ा भंडार है कि उसकी कीमत का आकलन करना सम्भव नही है। देवास का एक मात्र शासकीय कॉलेज इसी वंश की जमीन पर बना हुआ है व विक्रम सिंह पंवार के पूर्वज कृष्णाजीराव पवार के नाम पर है।
वैसे तो श्रीमंत पवार स्वयं एक बहुत बड़ी गाथा है जिसका वर्णन करना शायद बहुत मुश्किल हो, पर यह था उनके जीवन के सार पर एक नज़र…