- दर-दर भटकने के बाद भी नही मिल रहा न्याय, जीवनभर की बचाई पूंजी डकार गए भ्रष्ट कम्पनी अधिकारी
देवास। विप्पी इंडस्ट्रीज कर्मचारी साख सहकारी संस्था मर्यादित देवास संस्था के श्रमिकों एवं पदाधिकारियों ने उनके साथ हुई धोखाधडी को लेकर मानव अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव संदीप उपाध्याय और प्रदेश सचिव विशाल गुजेवार से मुलाकात कर आवेदन देते हुए समस्याओं से अवगत कराया। पूर्व अध्यक्ष रतनसिंह, गौतमसिंह, विजय खरनाल, चिंतामण मंकुड़ी, स्व. मोहनसिंह चौहान एवं पूर्व प्रबंधक लेखापाल स्व. रमेशचन्द्र तिवारी आदि लोगों द्वारा श्रमिकों के वेतन से हर माह होने वाली कटौती करके संस्था में जमा होने वाली राशि लगभग 71 लाख रुपये, फीक्स डिपॉजिट की राशि 70 लाख रुपये एवं जमा राशि व एफ. डी. पर मिलने वाली ब्याज की राशि को मिलाकर कुल 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया गया है। आवेदन के साथ दिये गये साक्ष्यों को देखने के पश्चात मानव अधिकार प्रकोष्ठ ने श्रमिकों को न्याय दिलवाने हेतु मानव अधिकार आयोग भोपाल, प्रमुख सचिव सहकारिता वल्लभ भवन भोपाल, आयुक्त कार्यालय-सहाकारिता एवं पंजीकरण सहकारी संस्थायें विध्याचल भवन भोपाल, संयुक्त आयुक्त कार्यालय उज्जैन एवं उपायुक्त कार्यालय देवास में सभी साक्ष्यों को फाईल कर आवेदन दिये। जिसके पश्चात मंत्रालय एवं सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने संयुक्त आयुक्त उज्जैन श्री दिक्षित एवं उपायुक्त सहकारिता देवास के परमानंद गोडरिया को भोपाल उच्च कार्यालय में संस्था के दस्तावेजो, अभिलेखों सहित तलब किया। तदोपरांत सहकारिता विभाग द्वारा उच्चाधिकारियों द्वारा दिये गये निर्देशानुसार संस्था के स्थापना वर्ष 2001 से वर्ष 2023 तक का स्पेशल ऑडिट किया गया। जिसमें मात्र 55 लाख रुपये की आर्थिक अनियमितता/गबन पाई गई। इसमें उल्लेखनीय यह है कि विशेष ऑडिट करने वाले अधिकारियों ने पूर्व वित्तीय वर्षों में ऑडिट करके किसी प्रकार की राशि गबन नहीं बताई थी। अब उन्हीं वित्तीय वर्षों में गबन घोटाले होने की रिपोट उच्च अधिकारियों को दी। विशेष ऑडिट भी वर्ष 2014 से 2023 तक ही किया गया, क्योंकि उपायुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी मांगने पर बताया गया कि वर्ष 2001 से 2013 तक के कोई भी दस्तावेज ऑडिट के लिये उपलब्ध नहीं है। दस्तावेज रिकार्ड से गायब है। संस्था में भ्रष्टाचार करने वाले स्व. रमेशचंद्र तिवारी के पुत्र अरुण कुमार तिवारी ने एक शपथ पत्र संपादित करके दिया गया है। जिसमें रमेशचंद्र तिवारी द्वारा 30 लाख रुपए की राशि गबन करना स्वीकार किया एवं 10-10 लाख के तीन चेक भी दिए गए, किंतु अब अरूण तिवारी भी पैसे जमा करने से मना कर रहा है। इस प्रकार से घोटाला करने वाले संस्था के पूर्व पदाधिकारियों पर सहकारिता विभाग द्वारा उचित कार्यवाही न करने पर हमारे द्वारा लगभग 90 श्रमिकों से सी.एम. हेल्पलाईन पर शिकायत करवाई गयी। जिसके पश्चात संस्था के भ्रष्ट पदाधिकारी, कंपनी मालिक एवं उपायुक्त कार्यालय सहकारिता देवास के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा श्रमिकों की आवाज को दबाने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। सहकारिता विभाग देवास के वरिष्ठ अधिकारी विनोद सरयाम द्वारा सी.एम. हेल्पलाईन पर शिकायत करने वाले श्रमिकों को फोन लगाकर श्रमिकों को शिकायत बंद करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। संस्था के सदस्य या कोई अन्य व्यक्ति उपायुक्त सहाकारिता देवास कार्यालय एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक देवास में सूचना के अधिकार के तहत कोई जानकारी विधिवत प्रारूप में मांगी जाती है तो इन दोनो विभागों द्वारा कोई जानकारी प्रदाय नहीं कि जाती है। जिससे स्पष्ट होता है। सहकारी बैंक व सहकारिता कार्यालय देवास की सांठगांठ एवं भ्रष्टाचार करने के कारण जानकारीयाँ छुपाई जा रही है। शीघ्र ही मानव अधिकार प्रकोष्ठ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री एवं लोकायुक्त के उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत करायेंगे एवं उपायुक्त कार्यालय सहकारिता विभाग देवास में वर्षों से अंगद के पाँव की तरह जमकर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कड़ी कार्यवाही करवाई जायेगी। इसी तरह के गबन घोटाले का आवेदन त्रिलोक नगर गृह निर्माण सहकारी साख संस्था देवास एवं विक्रम साख सहकारी संस्था देवास में हुए करोड़ो रुपये के घोटाले/गबन की जाँच भी करवाई जायेगी। जिससे भ्रष्टारियों पर अंकुश लग सके। अत: जिम्मेदार अधिकारी ईमानदारी एवं सत्यता से इस घोटाले को उजागर कर भ्रष्ट अधिकारियों एवं भ्रष्ट सहकारी संस्था के पदाधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही कर शीघ्र ही श्रमिकों उनके परिश्रम से कमाया गया पैसा वापिस दिलवाने का कष्ट करें।