प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता हैं। हर साल बड़ी संख्या में पौधे रोपने की मुहिम होती है। कई बार पर्यावरण के अस्तित्व पर चर्चाएँ होती हैं चिंता यह है कि पर्यावरण से जुड़े विषय हमारी नागरिक संस्कार से गहरे नहीं जुड पा रहे हैं। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या नदियों को शुद्ध और जीवित रखने के मुद्दे हों या पेड़ों को बचाने का मामला हो। हमारा जुडाव गहरा होना चाहिए था।
वर्षों पहले अंग्रेजी के महान प्रकृति प्रेमी कवि विलियम वर्डसवर्थ ने कहा था कि प्रकृति को अपना शिक्षक बनने दो। प्रकृति हमें सिखाती है कि मनुष्य का जीवन हर हाल में खुशहाल बन सकता है। हर वर्ष 5 जून की मनाएं जाने वाले पर्यावरण दिवस पर मध्यप्रदेश में ही करोडो पौधे रोपे जाते है वर्ष 2000 के समय छत्तीसगढ़ के मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद प्रदेश में औसतन 3 करोड़ पौधे प्रतिवर्ष लगाये गए है इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 2002 से 2019 तक 1053 वर्ग किमी हरियाली बड़ी है। हमारी भारतीय संस्कृति में पौधों का रोपण शुभ कार्य माना गया है। भारतीय उपासना पद्धति में वृक्ष पूजनीय है, क्योंकि उन पर देवताओं का वास माना गया है। गौतम बुद्ध का संदेश है कि प्रत्येक मनुष्य को पाँच वर्षों के अंतराल में एक पौधा लगाना चाहिये।
वर्तमान में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद लोगो को ऑक्सीजन की कीमत समझ आई। ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए सरकारों द्वारा देश भर में कृत्रिम ऑक्सीजन प्लांट के साथ साथ सेकड़ो एयर सेप्रेशन प्लांट (वातावरण से ऑक्सीजन लेकर स्टोर करना) लगाये गए। सवाल यह है जब इतनी बड़ी संख्या में यह प्लांट लगाये गए जो वातावरण से ऑक्सीजन को लेकर स्टोर करंगे तो हमे वातावरण में भी तो ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाना होगा और इसका सिर्फ एक ही उपाय या कहे रास्ता है कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाए एवं उनकी देखभाल करे।
इसी सन्दर्भ में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सेवा समिति मीडिया प्रभारी दुर्गा कुमावत की दादी का विगत दिनों ऑक्सीजन की कमी के कारण आकस्मिक निधन हो गया था दादी के निधन के बाद संस्था ने 5000 पौधारोपण कर उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया संस्था द्वारा देवास शहर के विभिंन्न स्थानों पर बेलपत्र, नीम, आंवला, पीपल, जामुन, सीताफल, गुलमोहर आदि पौधे लगाकर पौधारोपण किया जा रहा है। हम हर साल बढ़ते तापमान और प्रदूषण के बीच किस तरह जी रहे हैं। ये हाल सिर्फ कुछ शहरों का नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का है। आज तेजी से बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों के लिए बड़ा खतरा बन गया है। यही वजह है कि कई जीव-जन्तु विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही लोग भी सांस से जुड़े कई तरह के रोगों से लेकर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यह सब सिर्फ पर्यावरण में बदलाव और उसको पहुंचते नुकसान की वजह से है। हम ख़ुद अपने पर्यावरण का ख्याल नहीं रख रहे हैं, यही वजह है कि धीरे-धीरे हमारी जिंदगी मुश्किल होती जा रही है। इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। विश्व पर्यावरण दिवस के सप्ताह में संस्था अभिरंग द्वारा पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर माँ चामुण्डा टेकरी पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
यदि प्रत्येक नागरिक एक जीवित नन्हे पौधे का जिम्मेदार और संवेदनशील पालक बनने की चुनौती स्वीकार कर लें तो हम सब हरियाली से समृद्ध होते जायेंगे। इसलिये आज यह संकल्प लें कि हम जहाँ रहें अपने पर्यावरण का आदर करें।