• शिक्षाओं और समाज मे व्याप्त आडम्बरों पर भी सन्त कबीर के विचारों बारे में वक्ताओं ने उपस्थितजन को बताया
आष्टा (विक्रम ठाकुर)। निर्गुण विचार धारा के प्रमुख सन्त और भक्ति काव्य के पुरोधा सन्त कबीर दास जी की जयंती कैलाश परमार मित्रमंडल द्वारा श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। सन्त कबीरदास जी की साखियों और समाज की विसंगतियों पर उनके प्रचलित दोहों का सस्वर पाठ करते हुए कट्टरता के दौर में उनकी शिक्षाओं और समाज मे व्याप्त आडम्बरों पर भी सन्त कबीर के विचारों के बारे में वक्ताओं ने उपस्थितजन को बताया। कबीर दास जयन्ति के अवसर पर पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार के कार्यालय में बड़ी संख्या में उनके अनुयायी जुटे थे जहाँ गायत्री परिवार के मोहन सिंह अजनोंदिया, प्रसिद्ध भजन गायक राम श्रीवादी, कबीरपंथी शिक्षक नानूराम नागदा तथा पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने दीप प्रज्ज्वलन किया। पूर्व पार्षद शैलेश राठौर, सुभाष नामदेव, नरेंद्र कुशवाह, अनिल धनगर, केमिस्ट एशोशिएसन के अध्यक्ष अजित जैन आस्था, एडवोकेट सुरेंद्र परमार, वीरेंद्र परमार, शुभम शर्मा, संजय जैन किला आदि ने संत कबीर के चित्र पर माल्यार्पण किया वही सभी उपस्थित जन ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर संगीत शिक्षक राम श्रीवादी तथा विद्वान समाज सेवी नानूराम नागदा ने संत कबीर के जीवन चरित पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे ऐसे सन्त थे जो निरक्षर होकर भी ज्ञानी थे। उन्होंने काया की नश्वरता और अनमोल मनुष्य जीवन की सार्थकता पर आधारित साहित्य सृजन करके संसार भर के विद्वानों को अचंभित कर दिया था। मूलतः रहस्यवाद के कवि कबीरदास जी के साहित्य ने नए सुधारवादी पन्थ को तो प्रतिपादित किया ही वही उनका साहित्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नए-नए शोधप्रबन्ध की विषय वस्तु बना है। कबीर की रचनाओ ने भक्ति संगीत की नई विधा का सृजन भी किया। वक्ताओं ने बताया कि सन्त कबीर समाज मे प्रचलित रुढियों, अंधविश्वास और विरोधाभासों पर चोट करके अमर हो गए। उनके अनुयायी कबीरदास को अवतार पुरुष मानते हैं। निरक्षर हो कर भी ज्ञान मार्ग को प्रशस्त करने वाले संत कबीर की जयंती पर सभी उपस्थित जन ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने का संकल्प भी लिया। इस अवसर पर सुशील दुबे, भागीरथ पाटीदार, भावेश पटेल, रमेश चैहान, रवि विश्वकर्मा, नरेन्द्र ठाकुर, देवकरण प्रजापति महेश बागवान, दीपक चैहान आदि उपस्थित थे।