बेटियों ने बिखरे मोतीयों को एक ही माला में पिरोया
भौरासा (अभय नागर । मायके मे मां के आंचल से ऊतर कर, पिता के कंधों पर बैठ कर घुमना, फिर बदले समय मे स्कूल जाना स्कूल से कॉलेज तक का सफर पूर्ण करने के बाद डोली में बैठ कर के मायके से ससुराल की चौखट पर जाना। इतना सब होने के बाद कुछ यादें पीछे छूट जाती है। उन्हीं यादों को ताजा करने के लिए नगर की बेटियों ने एक अनोखा तरीका अपनाया रिचेटींग के जरिये एक दूसरे से संपर्क किया सभी को आने का न्योता दीया। मानो एक पेड़ से पंछी उड़े दूर देश को गए। और कई सालों बाद फिर वो पेड़ उन्ही पंछियों के चहकने से गूंज उठा हो। वैसे ही बेटीया भी अपनी मातृत्व की छांव अपने पुश्तैनी गांव मे आकर खुशियों के कुछ पल बीताये भौंरासा माँ शक्ति माता मंदिर दर्शनीय स्थल पर एक पार्टी का आयोजन कर इस दोस्ती को फिर से जीवित किया। इंदौर से शुरू हुए इस सफर में जो सहेली विवाह के बाद जहां रहती थी, चाहे वह इंदौर में रहती हो देवास में शिप्रा में या उज्जैन। सभी को एक गाड़ी में एक-एक करके साथ लिया और एक पार्टी का आयोजन कर सभी ने दिन भर आनंद लिया। अपनी पुरानी स्कूल से कालेज की यादों को ताजा किया। अंताक्षरी खेली और सभी ने दाल बाफले लड्डू खाए। उनकी खुशी और आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। कोई 30 साल बाद मिली तो कोई 40 साल, कोई 20 साल तो कोई 15 साल बाद। सभी ने इस अविस्मरणीय पल को जी भर जिया।बेटियों का सम्मेलन सफल रहा। खासकर पूर्व छात्राओं के सम्मेलन इस समय मे होना असंभव है पर नगर में ऐसा होना आश्चर्य से कम नहीं है। बेटियों का महा कुंभ बखूबी सफल रहा कई मोतियों को एक ही माला में पिरोया बेटी ज्योति काकानी ने।