• कोविड मरीजों की सेवा एवं ईलाज पहली प्राथकिता में हैं
• कोविड मरीजों के ईलाज एवं सेवा के लिए बाध्य है सभी, चिकित्सकीय कार्य में लापरवाही नहीं कर सकते
देवास। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री चंद्रमौली शुक्ला ने जिले समस्त शासकीय एवं निजी चिकित्सकीय संस्थानों में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं, जैसे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी पैरामेडीकल स्टॉफ, स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत स्वच्छता कार्यकर्ता, मेडिकल, एंबुलेंस सेवाएं आदि को अति आवश्यक सेवाओं में कार्य करने वालों आदेश दिए हैं कि कोरोना के इस संकट काल में निरंतर सेवाएं दें। सेवा कार्य में आनाकानी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जारी आदेश में उल्लेखित है किजिले में पिछले कुछ दिनों से इस आशय की सूचना प्राप्त हो रही है कि कुछ अस्पतालों में चिकित्सक, नसिंग स्टॉफ, पैरामेडीकल स्टॉफ, चतुर्थ श्रेणी स्टॉफ एवं अन्य स्टॉफ कोविड ईलाज की डयूटी करने में आनाकानी कर रहे है एवं किसी न किसी बहाने से इयूटी पर न आना, अस्पताल से नौकरी छोड़ कोविड ईलाज से मुक्ति पाना अथवा जानबूझ कर कार्य ठीक से नहीं करना आदि कृत्य कर रहे हैं। जिससे अस्पताल प्रबंधन को कोविड मरीजों के ईलाज एवं सेवा करने में असुविधा हो रही है। मध्यप्रदेश शासन गृह विभाग द्वारा मध्य प्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता निवारण अधिनियम 1979 की धारा -4 की उपधारा (1) के तहत समस्त शासकीय एवं निजी चिकित्सकीय संस्थानों में/ के लिए समस्त स्वास्थ्य सुविधाएं, जैसे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी पैरामेडीकल स्टॉफ, स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत स्वच्छता कार्यकर्ता, मेडीकल, एंबुलेंस सेवाएं आदि को अति आवश्यक सेवाओं में कार्य करने से इनकार किए जाने का प्रतिषेध किया गया।
इस आदेश के माध्यम से समस्त अस्पताल प्रबंधकों को यह निर्देश दिए हैं कि उनके यहां कार्यरत समस्त पैरामेडिकल स्टाफ तथा चिकित्सकीय कार्य में लगे अन्य व्यक्तियों को यह स्पष्ट किया जाए कि यह जिला वर्तमान में National Disaster Management Act – 2005 तथा The Epidemic Disease Act 1897 के तहत् नोटिफाईड है तथा चिकित्सा सुविधा अत्यावश्यक सेवाओं के अधीन आती है, लापरवाही कर रहे ऐसे चिकित्सा सेवाओं से जुड़े व्यक्तियों को यह भी स्पष्ट किया है कि वे कोविड मरीजों के ईलाज एवं सेवा हेतु बाध्य है तथा चिकित्सकीय कार्य में लापरवाही नहीं कर सकते, बिना अस्पताल प्रबंधन की सहमति के अस्पताल में कार्यरत कोई भी स्टॉफ मेडिकल अवकाश पर जाने का प्रयास करता है तो उसका मेडिकल परीक्षण सिविल सर्जन के अधीन मेडिकल बोर्ड द्वारा करवाया जाना बाध्यकारी होगा तथा अगर आवश्यकता लगी तो पुलिस की सहायता भी ली जाएगी। अगर शासकीय मेडिकल बोर्ड के परीक्षण में यह पाया गया कि बिना किसी कारण संबंधित मेडीकल स्टॉफ दवारा मेडिकल अवकाश लिया गया है तो अस्पताल प्रबंधन की शिकायत पर संबंधित अधिनियम एवं आई.पी.सी. की धाराओं के तहत ऐसे लापरवाह उपरोक्त उल्लेखित चिकित्सकीय, मेडिकल स्टॉफ के विरुद्ध कार्यवाही हेतु प्रकरण पुलिस को सौंपा जावेगा। सभी चिकित्सालयों को यह आदेशित किया जाता है कि ऐसे कर्मचारियों की सूची जिला दंडाधिकारी कार्यायल को तत्काल प्रस्तुत करें । यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।