कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : सुबह 5 बजकर 52 मिनट से लेकर 10 बजकर 4 मिनट तक पहला कलश स्थापना मुहूर्त बन रहा है। इसके बाद 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक घट स्थापना कर सकेंगे।नवरात्रि की पूजन सामग्री: पूजा के लिए मां दुर्गा की तस्वीर, लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल, माला, आम का पत्ता, लौंग, सुपारी, इलायची, बंदनवार, हल्दी की गांठ, रोली, मौली, कमल गट्टा, सूखा नारियल, नैवेध, शहद, घी, शक्कर, पंचमेवा, जावित्री, गंगाजल, दूध, दही, नवग्रह पूजन के लिए रंग-बिरंगे चावल, धूप-दीप, वस्त्र और पूजा की थाली समेत सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
मां दुर्गा की श्रृंगार सामग्री: मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के लिए लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, शीशा, बिछिया, इत्र, मंगलसूत्र, लिपस्टिक, नथ, गजरा, कंघी, कान की बली समेत 16 श्रृंगार की सामग्री रख लें।
कलश स्थापना की सामग्री: कलश स्थापित करने के लिए मिट्टी का घड़ा, मिट्टी, मिट्टी का ढक्कन, नारियल, जल, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, हल्दी-अक्षत और लाल रंग का वस्त्र चाहिए।
कलश स्थापना की विधिः नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें।इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें। मंदिर को फूलों से सजाएं। घट स्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रख दें। कलश में सिक्का, सुपारी, आम का पत्ते जरूर डालें। इसके बाद एक लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल का ढेर बनाएं।अब चावल के ढेर पर कलश स्थापित करें। कलश पर कलावा बांध दें।इसके साथ ही कलश पर स्वास्तिक भी बनाएं। फिर एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और जौ मिलाएं। इसमें थोड़ा पानी छिड़कें और इसे भी स्थापित कर दें। अब मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। सभी देवी- देवताओं कआ आह्वान करें।सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और सभी मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।