इंदौर: इंदौर के जिला एवं सत्र न्यायालय में पदस्थ एडीपीओ श्री त्रिलोक सवनेर अपनी पदस्थापना के समय से ही युवाओं के चहेते बने हुए हैं। वे लगभग 12 वर्षों से न्यायालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपने काम के प्रति ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ श्री सवनेर अपने छात्र जीवन से ही बहुत सक्रिय कार्यशैली, ओजस्वी वक्तव्य और मुखर व्यक्तित्व वाली प्रकृति के रहे हैं। उनका छात्र जीवन आभावों व आर्थिक परेशानियों वाला रहा है। अधिकांश समय उन्होंने शासन के पोस्ट मेट्रिक हॉस्टल में रहकर अध्ययन किया। वे अपने हॉस्टल मित्रों में टीम भावना से कार्य करने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाया करते थे। कॉलेज और छात्रावास दोनों जगह सवनेर अपने समय को मैनेज करके हर काम समय सीमा में करने के आदी रहे हैं। कालेज व हॉस्टल के हर इवेंट में अपनी मुखर वाणी से सभी युवाओं के चहेते बन जाया करते थे। सहपाठी भी उनके प्रति लगाव और सम्मान की भावना रखते थे। आज भी उनके सहपाठी उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा करते रहते हैं।
युवाओं में प्रेरक है उनका व्यक्तित्व
आज भी उनका मिलनसार व्यक्तित्व और कठिन परिश्रम युवाओं की प्रेरणा बन रहा है। वह एक सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। कोई भी युवा अपनी कोई भी शिक्षा या करियर संबंधी समस्या के लिए कभी भी श्री सवनेर से सलाह ले सकते हैं। वे उनकी समस्या का बहुत सटीक और बेहतरीन समाधान बताकर युवाओं के मन में उत्साह-जोश व उमंग भरने का काम करते हैं। इसीलिए वे आज भी युवाओं के चहेते बने हुए हैं।
जरूरतमंदों की मदद को अपना ध्येय मानते हैं
आभाव व मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जद्दोजहद कर रहे जरूरतमंदों की हर संभव मदद को तत्पर रहने वाले श्री सवनेर बताते हैं कि मानव की पीड़ा, संवेदना और जरूरतों को समझ कर मदद करना ही सबसे बड़ा पुण्य और धर्म है। उनके साथी रहे सोशल एक्टिविस्ट श्री अखिलेश चौहान बताते हैं कि सवनेर सर हमेशा से ही जरूरतमंदों की मदद में आगे रहते हैं। खासकर शिक्षा से वंचित तबके के युवाओं के लिए करियर सलाह, आर्थिक मदद इत्यादि सेवा कार्य करते रहते हैं। विगत दिनों में भी कालेज छात्रों की एडमिशन फीस और स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों के लिए स्वेटर, खेलकूद सामग्री किट, टी-शर्ट, ट्राफी इत्यादि जरूरत की सामग्री उनके द्वारा वितरित की गयी थी। आज भी श्री सवनेर शासकीय छात्रावासों में जाकर अध्ययनरत युवाओं के करियर गाइडेंस के लिए समय निकालते हैं। वे हमेशा से ही छात्रावासों में बच्चों के बीच जाकर उनके उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरणादायी मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। उनकी सादगी से छात्रावास के सभी बच्चे प्रभावित होकर जीवन में तरक्की के लिए कठिन परिश्रम करने को उत्साहित रहते हैं।
जिस समाज से लिया, समय आने पर उसे रिटर्न भी करिए
श्री सवनेर हमेशा अपने संदेश में बताते हैं कि समाज से हम बहुत कुछ सिखतें हैं और बहुत कुछ लेते भी हैं। अब जब समाज से सीखकर अच्छे प्रतिष्ठित पद पर हम पंहुच जातें हैं। तो समाज को क्यों भूल जातें हैं। अपने लक्ष्य पर पहुँचने के बाद मानव कि सबसे पहली नैतिक जिम्मेदारी यही होना चाहिए कि जिस समाजिक परिवेश में भले ही आभावों में वह आगे बढ़ा है, परंतु समाज से उसने बहुत कुछ लिया है। अब उस समाज को उसे रिटर्न भी करना चाहिए। उनकी नज़र में जो व्यक्ति जिस समाज में सिखकर, आगे बढ़कर उस समाज को ही भूल जाता है उसका सम्पूर्ण जीवन स्वार्थी, निरर्थक ओर तुच्छ है।